आर्थिक संकट आने पर Insurance Policy पर भी ले सकते हैं Loan, जानिए इससे जुड़ी कुछ खास बातें
Insurance Policy के बदले Loan, बैंक या फिर NBFC यानि कि नॉन-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के जरिए लिया जा सकता है. इंश्योरेंस पॉलिसी पर आसानी से लोन मिल जाता है.
Loan Against Insurance Policy: कोरोना काल के दौरान कई लोगों को मुश्किल आर्थिक हालात का सामना करना पड़ा. जहां बड़ी संख्या में लोग रोजगार से हाथ धो बैठे वहीं कई लोगों का बिजनेस भी पूरी तरह ठप हो गया. ऐसे में व्यक्ति को पैसों की कमी महसूस होती है. आर्थिक संकट के दौरान व्यक्ति सबसे पहले लोन लेने के बारे में सोचता है. लोन लेने के लिए लोग कई तरह के ऑप्शन तलाशते हैं, इंश्योरेंस पॉलिसी पर लोन लेना भी इनमें से एक है. अच्छी बात यह है कि हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर लोन लेना एक बेहतर विकल्प इसलिए भी है क्योंकि इंश्योरेंस पॉलिसी पर लोन कई ज्यादा आसानी से मिल जाता है, और साथ ही इस पर ब्याज भी कम लगता है. व्यक्ति बैंक या नॉन-बैकिंग वित्तीय संस्थाओं (NBFC) के जरिए ये लोन ले सकते हैं.
कितना लोन मिल सकता है
लोन कितना मिलेगा ये पॉलिसी के प्रकार पर और उसकी सरेंडर (आखिर में मिलने वाली रकम) वैल्यू पर निर्भर करता है. आमतौर पर सरेंडर वैल्यू का 80-90% तक लोन मिल सकता है. हालांकि मनी बेक या एंडॉमेंट पॉलिसी होने पर ही इतना लोन मिलता है.
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सरेंडर वैल्यू
पूरी अवधि होने से पहले लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करने पर वह राशि जो आप प्रीमियम के तौर पर भुगतान कर चुके हैं उसका कुछ हिस्सा वापस मिलता है. इसमें चार्ज काट लिए जाते हैं. इस रकम को सरेंडर वैल्यू कहा जाता है.
ब्याज
इंश्योरेंस पॉलिसी पर ब्याज दर प्रीमियम की राशि और भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या पर निर्भर करती है. लाइफ इंश्योरेंस पर लोन की ब्याज दर 10-12% के बीच होती है
अगर वापस न किया गया लोन
लोन के रिपेमेंट में डिफॉल्ट या प्रीमियम भुगतान करने में चूक होने पर इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स हो जाएगी. पॉलिसीधारक को पॉलिसी पर लिए गए लोन पर ब्याज के अलावा प्रीमियम का भी भुगतान करना होगा. इंश्योरेंस कंपनी पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू से मूल और बकाया ब्याज की रकम वसूलने का अधिकार रखती है.
02:31 PM IST